Legislative powers of President of India
इस लेख में भारतीय राष्ट्रपति की Legislative powers of president of India (राष्ट्रपति की विधायी शक्तियां) के बारे में बताया गया है।
भारतीय राष्ट्रपति की Legislative powers of president of India (राष्ट्रपति की विधायी शक्तियां) राष्ट्रपति की अन्य शक्तियों की भाँति ही अत्यंत महत्वूर्ण शक्ति है।
President Legislative powers – राष्ट्रपति की विधायी शक्तियां
- संविधान के अनुच्छेद 58(1)(2) के अंतर्गत राष्ट्रपति संसद का अधिवेशन आहूत व स्थगित कर सकता है , लोकसभा को भांग कर सकता है, दोनों सदनों में अगर किसी साधारण विधेयक पर गतिरोध हो तो अनुच्छेद 108 के अधीन संसद का संयुक्त अधिवेशन बुला सकता है |
- राष्ट्रपति साधारण विधेयक को पुर्नविचार के लिए लौटा सकता है | संविधान में यह नहीं बताया की राष्ट्रपति कितने समय के अंदर विधेयक को स्वीकृति दे | कई बार राष्ट्रपति की स्वीकृति न मिलने पर विधेयक स्वतः समाप्त हो जाते है | इसे जेबी वीटो कहते है | ऐसा तीन बार हुआ है |
- कुछ विशेष प्रकार के विधेयक को संसद में पेश करने से पूर्व राष्ट्रपति की पूर्व स्वीकृति लेनी पड़ती है , जैसे नए राज्यों का निर्माण या वर्तमान राज्यों की सीमाओं में परिवर्तन (अनुच्छेद 2), धन-विधेयक (अनुच्छेद 110) आदि |
- अनुच्छेद 123 (1) के अंतर्गत संसद के विश्रान्तिकाल में राष्ट्रपति के पास अध्यादेश जारी करने की शक्ति मौजूद है | इसका प्रभाव संसदीय अधिनियम की तरह होता है |
राष्ट्रपति की अन्य शक्तियां
- Judicial powers of president of India (राष्ट्रपति की न्यायिक शक्तियां)
- (कार्यपालिका शक्तियां (Executive powers),
- वित्तीय शक्तियां (Financial powers),
- आपातकालीन शक्तियां (Emergency powers),
- नियुक्ति शक्तियाँ (Appointment powers),
- राजनयिक शक्तियां (Diplomatic powers),
- सैन्य शक्तियाँ (Military powers),
- सैन्य शक्तियाँ (Military powers)
- राष्ट्रपति की क्षमादान की शक्ति (Pardoning powers) )
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