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Agriculture scheme in India in Hindi

 

1.प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना

उद्देश्य –

  1. प्राकृतिक अपदा, कीट और रोगों की स्थिति में किसानों को बीमा कवरेज और वित्तीय सहायता प्रदान करना
  2. कृषि में निरंतरता सुनिश्चित करने हेतु किसानों की आय को स्थावित्त देना|
  3. किसानों को कृषि में नवाचार तथा आधुनिक पद्धतियों को अपनाने के लिए प्रोत्साहित करना|
  4. कृषि क्षेत्र में ऋण के प्रवाह को सुनिश्चित करना|

अपेक्षित लाभार्थी

  1. अधिसूचित क्षेत्रों में अधिसूचित फसलें उगाने वाले ऐसे सभी किसान इसके लाभार्थी होंगे जिनके फसल बीमा कवरेज हेतु पात्र है|
  2. भूमिहीन किसान जो दूसरी की भूमि पर खेती कर रहे तथा उन्होंने सम्बंधित किसानों के साथ करार रखा हो|

मुख्य विशेषताएं

  1. PMFBY द्वारा पुनर्गठित मौसम- आधारित फसल बिमा योजना को छोड़कर अन्य सभी मौजूद बीमा योजनाओं को प्रतिस्थापित किया गया है|
  2. एक फसल एक दर| सभी रबी तथा खरीब फसलों के लिए 2% तथा5% प्रीमियम का भुगतान किया जायेगा|
  3. वार्षिक वाणिज्यिक और बागवानी फसलों के सन्दर्भ में,किसानों द्वारा केवल 5% प्रीमियम का भुगतान किया जायेगा|
  4. सरकारी सब्सिडी पर कोई ऊपरी सीमा निर्धारित नहीं  है इसलिए किसानों को कटौती के बीना पूरी बीमा राशि देय होगी|
  5. किसानों द्वारा भुगतान गए प्रीमियम और बीमांकिक प्रीमियम के बीच के अन्तर का 50:50 के अनुपात में केंद्र और राज्य सरकार द्वारा भुगतान किया जाता है|
  6. PMFBY अधिसूचित क्षेत्रों में अधिसूचित फसलों के लिए ऋण प्राप्तकर्ता किसानों के लिए अनिवार्य है
  7. तथा गैर-ऋण प्राप्तकर्ता किसानों के लिए स्वैच्छिक है|
  8. उपज हानि – प्राकृतिक अग्रि एवं तड़ित,तूफान,ओला-वृष्टि,चक्रवात,टाइफून,आंधी/झंझावात ,हरिकेन,टोरनाडो आदि जैसे रोके न जा सकने वाले जोखिम तथा बाढ़ और भूस्खलन,सूखा,सूखा अवधी,कीटों/रोगों के कारण होने वाले जोखिम को भी कवर किया जायेगा|
  9. पोस्ट हार्वेस्ट हानियों को भी कवर किया गया है|
  10. प्रौधौगिक का उपयोग : किसानों के दावे के भुगतान में देरी को कम करने तथा फसल कटाई के आकड़ों को एकत्रित करने एवं अपलोड करने के लिए स्मार्ट फोन का उपयोग किया जायेगा|
  11. रिमोट सेंसिंग का उपयोग फसल कटाई प्रयोगों की संख्या को कम करने के लिए किया जायेगा|
  12. परिभाषित क्षेत्र(अर्थात बीमा का इकाई क्षेत्र) एक गांव या उससे अधिक क्षेत्र है जो किसी अधिसूचित फसल हेतु समान जोखिम का सामना करने वाला एक जियो-मैप्ड क्षेत्र हो सकता है|
  13. वर्ममान में, 5 सार्वजनिक क्षेत्र की बिमा कंपनियां और 13 निजी बीमा कंपनियों को गठित करने की अनुमति दी गई है|

2.यूनिफाइड पैकेज इन्शुरन्स स्कीम

उद्देश्य –

  1. कृषि क्षेत्र में संलग्न नागरिकों को वित्तीय सुरक्षा प्रदान करना|
  2. खाद्य सुरक्षा और खाद्य विविधीकरण सुनिश्चित करना|
  3. कृषि क्षेत्र की संवृद्धि और प्रतिस्पर्धात्मकता में वृद्धि करना|

मुख्य विशेषताएं

  1. यह योजना किसानों की बीमा आवश्यकताओं को ध्यान रखेगी|
  2. इस योजना के तहत किसानों को भूमि के स्वामित्वाधिकार और बोयी गई फसल के आधार पर उपज आधारित फसल बीमा प्रदान किया जायेगा|
  3. इसमें निजी और कार्य सम्बन्धी, दोनों प्रकार की परिसम्पतियां शामिल हैं
  4. और साथ ही यह योजना किसान एवं उनके परिवारों को जीवन बीमा सुरक्षा भी प्रदान करती है|
  5. यह किसी किसान की दुर्घटना से होने वाली मृत्यु/निःशक्तता की स्थिति में सहायता प्रदान कर,उनके स्कूल/कॉलेज जाने वाले बच्चों को दुर्घटना बीमा सुरक्षा प्रदान करना तथा माता-पिता की मृत्यु होने की दशा में विद्यार्थीयों हेतु शिक्षा शुल्क का प्रावधान कर, किसान और उसके परिवार के सदस्यों को सुरक्षा प्रदान करती है|

3.प्रधानमंत्री कृषि सिचाई योजना

उद्देश्य

  1. फील्ड स्तर पर सिचाई में निवेश का अभिसरण प्रदान करना(जिला स्तर पर तैयारी,यदि आवश्यक हो तो उप-जिला स्तर जल उपयोग योजनाएं)|
  2. सूक्ष्म-सिचाई (माइक्रो इरिगेशन) और अन्य जल बचत प्रौधौगिकियों(प्रति बून्द,अधिक फसल) को अपनाना| जलाशयों के पुनर्भरण में वृद्धि करना तथा सतत जल संरक्षण पद्धतियों की शुरुवात करना|
  3. पेरी-अर्बन कृषि में नगरपालिका अपशिष्ट जल का पुनः उपयोग करने की व्यवहार्यता का पता लगाना|
  4. सिचाई में महत्वपूर्ण निजी निवेश को आकर्षित करना|
  5. जल संचयन, जल प्रबंधन और किसानों के लिए फसल संयोजन तथा जमीनी स्तर के क्षेत्र कर्मियों से सम्बंधित विस्तार गतिविधियों को प्रोत्साहित करना|

मुख्य विशेषताएं

  1. विकेन्द्रीयकृत राज्य स्तरीय योजना और कार्यन्वयन संरचना,ताकि राज्य एक डिस्ट्रिक्ट इरिगेशन प्लान(DIP) और एक स्टेट इरिगेशन प्लान(SIP) का निर्माण कर सकें|
  2. PMKSY फण्ड का उपयोग करने हेतु इस प्लान का निर्माण आवश्यक है|
  3. प्रशासन – प्रधानमंत्री सहित सभी सम्बंधित मंत्रालयों के केंद्रीय मंत्रियों से निर्मित इंटरमिनीस्ट्रिअल नेशनल स्टीयरिंग कमेटी(NSC) द्वारा इसका अधीक्षण और निगरानी की जाएगी|
  4. कार्यक्रम के कार्यांवयन की निगरानी हेतु निति आयोग के उपाध्यक्ष की अध्यक्षता में राष्ट्रीय कार्यकारिणी समिति का गठन किया जायेगा|
  5. PMKSY को वर्तमान में जारी निम्न योजनाओं को सम्मिलित कर तैयार किया गया है :-
    1. जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्रालय का त्वरित सिंचाई लाभ कार्यक्रम(एक्सेलेरेड इरिगेशन बेनिफिट प्रोग्राम:AIBP)
    2. भूमि संसाधन विभाग का एकीकृत जलसंभर क्षेत्र प्रबंधन कार्यक्रम(इंटीग्रेटेड वाटरशेड मैनेजमेंट प्रोग्राम:INWMP)
    3. कृषि तथा सहकारिता विभाग के तहत नेशनल मिशन ऑन सस्टेनेबल एग्रीकल्चर(NSMA
  6. वाटर बजटिंग : घरेलु,कृषि और उद्योग जैसे सभी क्षेत्रों हेतु वाटर बजटिंग की जाती है|
  7. योजना के अंतर्गत खेतों के स्तर(फार्म लेवल) पर निवेश संभव होगा| अतः किसानों को घटनाक्रम की पूरी जानकारी होगी तथा वे इस सम्बन्ध में अपना फीडबैक प्रदान कर सकेंगे|
  8. हाल ही में,PMKSY के अंतर्गत नाबार्ड में समर्पित दीर्घकालीन सिचाई निधि(LTIF) का सृजन किया गया है| यह अधूरी प्रमुख और माध्यम सिचाई परियोजाओं के वित्त पोषण तथा परियोजनाओं के कार्यवान्यन को ट्रैक करेगी|

4.नीरांचल वाटर शेड प्रोग्राम

उद्देश्य

  1. PMKSY के वाटरशेड घटक को और अधिक मजबूत बनाना तथा तकनीकी सहायता प्रदान करना|
  2. प्रत्येक खेत तक सिचाई की पहुंच (हर खेत को पानी)
  3. जल का कुशल उपयोग(प्रत्येक बून्द अधिक फसल)

मुख्य विशेषताएं

  1. विश्व बैक समर्थित नेशनल वाटरशेड मेनेजमेंट प्रोजेक्ट ।
  2. भारत में जलसंभर और वर्षा सिंचित कृषि प्रबंधन पद्धतियों में संस्थागत परिवर्तन लगना।
  3. ऐसी पद्धतियों का विकास करना जो यह सुनिश्चित करे कि जलसंभर कार्यक्रमों और वर्षा सिंचित सिचाई प्रबन्धन प्रणालियों पर बेहतर तरीके से फोकस किया जाएं।
  4. साथ ही यह भी सुनिश्चित करे कि ये प्रणालियां आपस में समन्वित एवं मात्रात्मक रूप से अधिक परिणाम प्राप्त करने में सहायक हैं!
  5. जलसंभर की बनाए रखने हेतु रण-नीतियां तैयार करने में सहायता करना|
  6. परियोजना की प्राप्त होने वाली सहायता के समाप्त होने के बाद भी कार्यक्रम वाले क्षेत्रों का प्रबंधन कार्य!
  7. जलसंभर प्लस दृष्टिकोण के साथ तथा फॉरवर्ड लिंकेज के माध्यम से अधिक समतापूर्ण,आजीविका और आय में मदद करना। समावेशी मंच के साथ-साथ स्थानीय लोगों की भागीदारी भी इसमें सहायक होगी|

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