(Babur – Mughal empire) | बाबर – मुग़ल काल 

Babur – mughal empire (बाबर मुग़ल साम्राज्य) का मुग़ल साम्राज्य (mughal empire) का संस्थापक।

वह (Babur) अपने पिता और माँ के माध्यम से क्रमशः तैमूर और चंगेज खान दोनों के वंशज थे।

बाबर (Babur) का जीवन

  • बाबर का पूरा नाम ज़हिर उद-दिन मुहम्मद बाबर था |
  • यह भारत में बाबर के रूप में प्रसिद्ध हुआ|
  • बाबर का जन्म 14 फ़रवरी, 1483 ई, फ़रग़ना में हुआ था
  • बाबर की मृत्यु 26 दिसम्बर, 1530 ई. में आगरा में हुई थी|
  • वह तुर्की जाति के ‘चग़ताई वंश’ से सम्बंधित था उसके पिता तैमूर के वंश से थे वह तैमूर का पाँचवा एवं माता की ओर से चंगेज़ ख़ाँ (मंगोल नेता) का चौदहवाँ वंशज था|
  • बाबर को तैमूर लंग का परपोता कहा जाता है साथ ही साथ चंगेज़ ख़ान को उसका पूर्वज माना जाता है|
  • इसी ने 1519 ई. में ‘युसूफजाई’ जाति के विरुद्ध अपना प्रथम अभियान चलाया था
  • इस अभियान के तहत बाबर ने ‘बाजौर’ और ‘भेरा’ पर अधिकार स्थापित किया था यह बाबर का पहला अभियान था जिसमे बाबर ने तोपखाने का प्रयोग किया था|
  • साथ ही साथ बाबर ने अपने दूसरे अभियान में ‘बाजौर’ और ‘भेरा’ के अलावा ‘स्यालकोट’ एवं ‘सैय्यदपुर’ को भी अपने अधिकार क्षेत्र में कर लिया था
  • बाबर मुग़ल साम्राज्य का प्रथम शासक था भारत में मुग़ल साम्राज्य की स्थापना की थी|
  • बाबर(Babur – mughal empire) के पिता उमर शेख़ मिर्ज़ा जो परगना के शासक थे बाबर उनकी मृत्यु के बाद उनका उत्तराधिकारी बना| बाबर ने 22 वर्ष की उम्र में क़ाबुल पर अधिकार कर अफ़ग़ानिस्तान में राज्य क़ायम किया|

बाबर(Babur) को सत्ता प्राप्ति –

  • वह अपनी पिता की मृत्यु के बाद 11 वर्ष की उम्र में शासक बना तथा दादी ‘ऐसान दौलत बेगम’ की मदद से उसने अपना राज्याभिषेक करवाया
  • उसने अपने फ़रग़ना के शासन काल में 1501 ई. में समरकन्द पर कब्ज़ा स्थापित किया, जो करीब 8 माह तक ही उसके क़ब्ज़े में रह पाया।
  • इसी ने  1504 ई. में क़ाबुल विजय के बाद बाबर ने अपने पूर्वजों द्वारा धारण की गई उपाधि ‘मिर्ज़ा’ का त्याग कर नई उपाधि पादशाह धारण की।

बाबर (Babur) का विजय अभियान –

  • बाबर ने 1526 ई. में पानीपत के प्रथम युद्ध में दिल्ली सल्तनत के अंतिम वंश (लोदी वंश) के सुल्तान इब्राहीम लोदी को हराकर भारत में मुग़ल वंश की स्थापना की थी|
  • उसने अपना चौथा युद्ध अभियान 1524 ई. में किया था।
  • इस अभियान के तहत इब्राहीम लोदी एवं दौलत ख़ाँ लोदी के मध्य मतभेद हो जाने के कारण दौलत ख़ाँ, जो उस समय लाहौर का गवर्नर था, ने पुत्र दिलावर ख़ाँ एवं आलम ख़ाँ (बहलोल ख़ाँ का पुत्र) को बाबर को भारत पर आक्रमण करने के लिए आमंत्रित करने के लिए भेजा। सम्भवतः इसी समय राणा सांगा ने भी बाबर को भारत पर आक्रमण करने के लिए निमत्रंण भेजा था।
  • चौथे अभियान 1524 ई. में बाबर ने लाहौर एवं दीपालपुर पर अधिकार कर लिया। नवम्बर 1526 ई. में बाबर द्वारा किये गये पाँचवे अभियान में, जिसमें बदख्शाँ की सैनिक टुकड़ी के साथ बाबर अपने पुत्र हुमायूँ को लेकर आया , बाबर ने अपने अभियान के तहत दौलत ख़ाँ को समर्पण के लिए मजबूर किया तथा बाद में उसे कैद कर लिया गया। इसके साथ ही उसने आलम ख़ाँ से भी आत्मसमर्पण कराया। बाबर ने ऐसा करते हुए पुरे पंजाब को कब्जे में कर लिया|

बाबर (Babur) द्वारा जीते गए प्रमुख्य युद्ध –

Battle of Panipat – पानीपत का प्रथम युद्ध  (21 अप्रैल, 1526 ई.) –

Babur - Mughal empire
Battle of panipat

पानीपत का प्रथम युद्ध (Battle of Panipat) दिल्ली के सुल्तान इब्राहीम लोदी (अफ़ग़ान) एवं बाबर के मध्य लड़ा गया तथा इस युद्ध में बाबर को दौलत ख़ाँ लोदी का सहयोग मिला उसने बाबर को भारत में आक्रमण हेतु निमंतरण दिया|

यह युद्ध पानीपत के मैदान में लड़ा गया था| इस युद्ध में इब्राहीम लोदी बुरी तरह से परास्त हुआ और मारा गया| इस युद्ध में बाबर ने 12000 सैनिकों का प्रयोग किया था इस बात का उल्लेख बाबर ने अपनी कृति ‘बाबरनामा’ ने की है|

 

Important points of Battle of Panipat – पानीपत का प्रथम युद्ध

  • पानीपत का प्रथम युद्ध में बाबर ने पहली बार प्रसिद्ध ‘तुलगमा युद्ध नीति’ का उपयोग किया था।
  • इसी युद्ध में बाबर ने तोपों को सजाने में ‘उस्मानी विधि’ (रूमी विधि) का प्रयोग किया था।
  • बाबर ने तुलगमा युद्ध पद्धति उजबेकों से ग्रहण की थी।
  • पानीपत के ही युद्ध में बाबर ने अपने प्रसिद्ध निशानेबाज़ ‘उस्ताद अली’ और ‘मुस्तफा’ की सेवाएँ लीं।
  •  इस युद्ध में प्राप्त धन को बाबर ने अपने सैनिक अधिकारियों, नौकरों एवं सगे सम्बन्धियों को बाँट दिया था| इसी बंटवारे में हुमांयू को कोहिनूर हिरा मिला तथा जो ग्वालियर नरेश ‘राजा विक्रमजीत’ से छिना गया था|
  • कहा जाता है कि बाबर ने भारत विजय के उपलक्ष्य में काबुल निवासियों को एक-एक चांदी का सिक्के उपहार स्वरुप दिया था उनकी दानवीरता तथा उदारता के लिए उसे ‘कलन्दर’ की उपाधि प्रदान की गई थी|
  • युद्ध के उपरांत भारत में लोधी वंश की शक्ति समाप्त हो गई इसके अलावा भारत में अफ़ग़ानों को कमजोर कर दिया इसके साथ ही बाबर ने अनेक स्थानों में अपना कब्ज़ा स्थापित किया|

Battle of Khanwa – खानवा का युद्ध (17 मार्च, 1527 ई.)

Babur - Mughal empire - Battle of Khanwa
Battle of Khanwa
  • खानवा का युद्ध बाबर और राणा सांगा के बीच खानवा नामक स्थान में हुआ था|
  • इस युद्ध में राणा सांगा का साथ मारवाड़, अम्बर, ग्वालियर, अजमेर, हसन ख़ाँ मेवाती, बसीन चंदेरी एवं इब्रहिम लोदी का भाई महमूद लोदी ने दिया था|
  • इस युद्ध में राणा सांगा की पराजय हुई थी|
  • राजस्थान के ऐतिहासिक काव्य ‘वीर विनोद’ में सांगा और बाबर के इस युद्ध का विस्तारपूर्वक प्राप्त होता है|
  • वर्णन के अनुसार इस युद्ध में बाबर की ओर से 30 हजार सैनिकों ने भाग लिया था|
  • बाबर तथा राणा सांगा की पहली मुठभेड़ ‘बयाना’ तथा दूसरी मुठभेड़ खानवा में हुई थी|
  • सांगा और बाबर का यह निर्णायक युद्ध फ़तेहपुर सीकरी के पास खानवा नामक स्थान में 16 अप्रैल, सन् 1527 में हुआ था।
  • इस तरह उस समय के ब्रजमंडल में जयचंद्र के बाद राणा सांगा की भी हार हुई।
  • खानवा का युद्ध जितने के बाद बाबर को ‘ग़ाज़ी’ की उपाधि प्राप्त हुई|

Battle of Chanderi – चंदेरी का युद्ध (29 जनवरी, 1528 ई. )

Babur - Mughal empire - Battle of Chanderi
Battle of Chanderi
  • चंदेरी का युद्ध वहां के सूबेदार ‘मेदिनी राय’ तथा बाबर के मध्य हुआ था|
  • इस युद्ध के बाद बाबर के जीवन में स्थिरता आई|
  • बाबर ने सूबेदार ‘मेदिनी राय’ को पराजित किया| इस युद्ध को जितने के बाद बाबर ने मेदिनी राय की दो पुत्रियों का विवाह अपने पुत्रों ‘कामरान’ एवं ‘हुमायूँ‘ से कर दिया गया।

Battle of Ghaghra – घाघरा का युद्ध (6 मई, 1529 ई.) 

Babur - Mughal empire
Battle of Ghaghra
  1. घाघरा का युद्ध 6 मई, 1529 ई. को मुग़ल शासक बाबर तथा अफगानों के मध्य लड़ा गया था।
  2. इस युद्ध में बाबर ने अफगानों को पराजित कर अपना कब्ज़ा स्थापित किया।
  3. इस युद्ध में बाबर की सहायता महमूद लोदी की की थी तथा उसी ने बाबर की सेना का नितृत्व किया।
  4. घाघरा के युद्ध में बाबर ने बंगाल एवं बिहार की संयुक्त सेनाओं को पराजित किया था।
  5. इस युद्ध की यह भी विशेषता रही कि यह युद्ध जल तथा थल दोनों में लड़ा गया था।
  6. बाबर की इस युद्ध विजय के बाद उसका राज्य ऑक्सस से घाघरा एवं हिमालय से ग्वालियर तक पहुंच गया था।
  7. बाबर ने बंगाल के शासक नुसरतशाह से संधि कर वचन लिया की बाबर के दुश्मनों को अपने राज्य में शरण नहीं देंगे
  8. घाघरा का युद्ध बाबर द्वारा लड़ा गया अंतिम युद्ध था
  9. इस युद्ध के बाद बाबर की मृत्यु 26 दिसम्बर, 1530 को हो गई| उसकी मृत्यु का कारण बीमारी थी।

बाबर (Babur – mughal empire) के बारे में अन्य तथ्य –

  • बाबर का उत्तराधिकारी हुमायुँ था जिसने मुग़ल साम्राज्य का शासन आगे बढ़ाया।
  • उसने अनेक उपलब्धियां हासिल की।
  • वह एक ऐसा शासक था जिसने कुषाणों के बाद काबुल एवं कंधार को अपने कब्जे में रखा।
  • इसके साथ ही उसने भारत में अफ़ग़ान एवं राजपूत शक्ति को समाप्त कर भारत में मुग़ल साम्राज्य की स्थापना की।
  • उसने कई नई युद्ध नीतियों का प्रचलन किया तथा साथ ही साथ सड़कों की माप के लिए ‘गज़-ए-बाबरी’ का उपयोग किया।
  • बाबर तुर्की भाषा का विद्वान
  • उसने अपनी आत्मकथा ‘बाबरनामा’ की रचना तुर्की भाषा में रचना की जिसका अनुवाद में अब्दुल रहीम ख़ानख़ाना ने फ़ारसी में किया था
  • लीडेन एवं अर्सकिन ने 1826 ई. में ‘बाबरनामा’ का अंग्रेज़ी भाषा में भी इसका अनुवाद किया।
  • बाबर ने ‘मुबइयान’ नामक पद्य शैली की रचना तथा ‘खत-ए-बाबरी’ नामक एक लिपि कला भी विकसित की थी।
  • खानवा के युद्ध में विजय के बाद बाबर ने गाजी की उपाधि धारण की।
  • बाबर ने क़ाबुली बाग़ मस्जिद, जामी मस्जिद, आगरा की मस्जिद, नूर अफ़ग़ान, बाबरी मस्जिद आदि का निर्माण भी कराया।
  • बाबर द्वारा भारत में किये आक्रमणों में शामिल है –
    • बाजौर एवं भीरा आक्रमण 1518 से 1519 ई.,
    • पेशावर आक्रमण 1519 ई., स्यालकोट,
    • भीरा आक्रमण 1520 ई.,
    • सुल्तानपुर, लाहौर, दीपालपुर आक्रमण 1524 ई.
  • बाबर द्वारा की गई रचनाओं में बाबरनामा या तुज़ुक़-ए-बाबरी, दीवान, रिसाल-ए-उसज, मुबइयान आदि प्रमुख्य है।

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