Bhoramdeo (भोरमदेव) मंदिर

भोरमदेव (Bhoramdeo) भगवान शिव को समर्पित हिंदू मंदिरों का एक परिसर जो भारत के छत्तीसगढ़ प्रदेश में स्थित है।
इसमें चार मंदिरों का एक समूह शामिल है जो ईंट से बने नवीनतम मंदिरों से एक है।
इसका प्रमुख मंदिर पत्थरों से बनाया गया है |
कामुक मूर्तियों के साथ स्थापत्य की विशेषताओं ने खजुराहो मंदिर ।
ओडिशा के कोणार्क सूर्य मंदिर को एक अलग शैली दी है ।
इसलिए भोरमदेव परिसर को “छत्तीसगढ़ के खजुराहो” के नाम पर से भी जाना जाता है।
भोरमदेव से लगभग 1 किलोमीटर की दूरी पर एक और मंदिर स्थित है जिसे स्थानीय बोली में मड़वा महल कहते है इसे दुल्लदेव भी नाम से भी जाना जाता है।
मड़वा महल का शाब्दिक अर्थ विवाह हॉल भी होता है।
यह 1349 में नागवंशी राजवंश के रामचंद्र देव के शासनकाल के दौरान बनाया गया था ।
इसमें 16 स्तंभों पर एक अद्वितीय शिव लिंग स्थापित किया गया था।
प्रमुख बिंदु भोरमदेव मंदिर (Bhoramdeo Temple) –
- छत्तीसगढ़ का खजुराहो कहा जाने वाला भोरमदेव (Bhoramdeo) पर्यटकों का खास आर्कषण का स्थल है।
- यह मंदिर कवर्धा से 18 किमी दूर मैकाल पर्वत और प्रकृति की सुंदरता के बीच बसा है।
- 11 सदीं में बने इस मंदिर में प्राचीन पाषाण सभ्यताओं की मूर्तियां हैं।
- इसके अलावा यहां मंडवा महल व झेरकी महल भी देखने योग्य है।
- कामुक मूर्तियों के साथ स्थापत्य विशेषताओं ने खजुराहो मंदिर और ओडिशा में कोणार्क सूर्य मंदिर की तरह एक अलग शैली दी है|
- जिसके कारण से भोरमदेव को ‘छत्तीसगढ़ का खजुराहो’ भी कहा जाता है|
- भोरमदेव को कलचुरी वंश के काल में बनाया गया था|
- मंदिर का मुख पूर्व की ओर है।
- नागर शैली का एक सुन्दर उदाहरण है।
- तीन ओर से प्रवेश किया जा सकता है।
- एक पाँच फुट ऊंचे चबुतरे पर बनाया गया है।
- तीनों प्रवेश द्वारों से सीधे मंदिर के मंडप में प्रवेश किया जा सकता है।
- मंडप की लंबाई 60 फुट है और चौड़ाई 40 फुट है।
- मंडप के बीच में 4 खंबे हैं तथा किनारे की ओर 12 खम्बे हैं, जिन्होंने मंडप की छत को संभाल रखा है।
- सभी खंबे बहुत ही सुंदर एवं कलात्मक हैं। प्रत्येक खंबे पर कीचन बना हुआ है, जो कि छत का भार संभाले हुए है।
Bhoramdev temple (भोरमदेव मंदिर का स्थान) Location –
भोरमदेव मंदिर परिसर दक्षिण कोरिया क्षेत्र में घने जंगलों वाले प्राकृतिक पहाड़ियों की बीच मैकल श्रेणियों के बीच छत्तीसगढ़ प्रदेश में स्थित है।
- यह कबीरधाम जिले के तहसील शहर कवर्धा के उत्तर-पश्चिम में 18 किमी की दूरी पर स्थित है।
- भोरमदेव परिसर से निकटतम हवाई अड्डा छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर है जो 134 किमी दुरी में स्थित है।
- इतिहास और पुरातात्विक विवरणों से समृद्ध मंदिर परिसर कलचुरि काल के आस पास बनाया गया था
- कलचुरि काल की मूर्तियां पुरातत्व स्थलों जांजगीर, नारायणपुर और रतनपुर से प्राप्त हुए है।
- ईंट मंदिरों का निर्माण पांडुओं के शासन के दौरान किया गया था और यह राज्य में खारोद, पलारी, राजिम और सिरपुर में निर्मित हैं।
- मंदिर का निर्माण फणीनागवंश राजवंश के लक्ष्मण देव राय और गोपाल देव द्वारा कराया गया था।
- मंदिर का निर्माण इसका निर्माण 7 वीं और 12 वीं शताब्दी के बीच का है।
- पत्थर में उकेरी गई कविता जिसको बनवाने का श्रेय नागवंशी राजाओं को दिया जाता है।
- नागवंशी राजाओं ने दक्षिण कोशल क्षेत्र में शासन किया था।
जैसा कि क्षेत्र के गोंड आदिवासियों ने भगवान शिव की पूजा की, जिन्हें वे भोरमदेव कहते थे।शिव लिंग को चित्रित किया गया था जिसे मंदिर को भोरमदेव नाम दिया गया था।
Istaliq temple
यह एक Istaliq temple है भोरमदेव मंदिर मुख्य रूप से सूखे हुए या जले हुए मिट्टी के ईंटों से बनाये गए थे। यह 2 और 3 शताब्दी के बीच निर्मित पहला मंदिर था।
प्रमुख बिंदु
- यह मंदिर जीर्ण-शीर्ण अवस्था में है।
- इसमें एक गर्भगृह है जिसमे प्रवेश द्वार या मंटप नहीं है।गर्भगृह के ऊपर एक मीनार स्थित है जो इसकी आधी ऊँचाई तक ही है।
- इस मन्दिर के बाहर दीवार परियोजना है जिसे “अल्लिंडा” के नाम से जाना जाता है।
- उमा महेश और राजा और रानी के पूजनीय मुद्रा में खड़े होने की छवियों के साथ यहां एक शिव शिवलिंग विराजित है।
Cherki Mahal (चरखी महल) –

भोरमदेव परिसर का अंतिम मंदिर चरखी महल (Cherki Mahal)
जहाँ आसानी से पंहुचा नहीं जा सकता यह मंदिर सघन वन के बीच स्थित है।
यह मंदिर नक्काशी नहीं की गई है यह शिवलिंग रूपित है।
मंदिर के गर्भगृह की छत पर कमल की सजावट है।
Madwa Mahal (मड़वा महल) –

मुख्य मंदिर से लगभग एक किलोमीटर की दूरी पर स्थित मडवा महल (Madwa Mahal) एक पश्चिम मुखी मंदिर है जहाँ एक शिव लिंग को विराजित किया गया है।
मड़वा महल (Madwa Mahal) प्रमुख बिंदु
- चूंकि मंदिर को मैरिज हॉल या पंडाल (मनगढ़ंत संरचना) की तरह बनाया गया था, जिसे स्थानीय बोली में “मड़वा” के नाम से जाना जाता है।
- इसका निर्माण नागवंशी राजा रामचंद्र देव और हयवंशी रानी राज कुमारी अंबिका देवी की शादी की याद में किया गया था, जो 1349 में हुआ था।
- प्रवेश द्वार या मंडप की छत पर एक जीर्ण शीका लगा था, जिसे काफी गहराई से बनाया गया है।
- इस मंदिर की बाहरी दीवारों में कामसूत्र में वर्णित कामुक यौन मुद्राओं में 54 चित्र हैं, जो नागवंशी राजाओं द्वारा प्रचलित संस्कृति को दर्शाते हैं।
पहुँचने के लिए
हवाईजहाज से
निकटतम हवाई अड्डा राज्य की राजधानी रायपुर में है। माना हवाई अड्डा लगभग है 130 किमी. कवर्धा से है।
ट्रेन से
निकटतम रेलवे स्टेशन राज्य की राजधानी रायपुर में है। यह लगभग 120 किमी. कवर्धा से है।
सड़क द्वारा
कवर्धा सड़क मार्ग से रायपुर, बिलापुर, दुर्ग शहर से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है।
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Bhoramdev college of agriculture kawardha
इसके आस पास कॉलेज तथा शिक्षण संस्थान (Education institution) भी है। प्रादेशिक सरकार ने भोरमदेव मंदिर के आसपास बनाये हुए है जिसमे से एक Bhoramdev college of agriculture kawardha भी शामिल है।
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Bhoramdev temple source –
Bhoramdeo Tourist guide
अगर आप भोरमदेव देखने जाने के इक्षुक है तो हमने कुछ अच्छे bhoramdeo resort के बारे भी इस आर्टिकल में संगलन कराया गया है जहाँ ठहर कर अपनी यात्रा का आनंद उठा सकते है।
Bhoramdeo resort
यहाँ पर भोरमदेव के समीप स्थित बहुत से Bhoramdeo resort है जो इस प्रकार है यह Bhoramdeo resort आपकी यात्रा का आनंद बड़ा देंगे।
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