CG irrigation project (Chhattisgarh) – छत्तीसगढ़ में विभिन्न नदी परियोजना
CG irrigation project (Chhattisgarh) – छत्तीसगढ़ में विभिन्न नदी परियोजना – Notes for various CG irrigation project in various river of Chhattisgarh – Notes contains various CG irrigation project which is very important for upcoming cgpsc, Patwari, Revenue inspector, Labour inspector and Hight court assistant etc.
महानदी परियोजना
गंगरेल बांध / रविशंकर सागर जलाशय (धमतरी):
गंगरेल बांध छत्तीसगढ़ के धमतरी जिले की महानदी पर बना हुआ है|
इसे रविशंकर जलाशय के नाम से भी जाना जाता है।
यह छत्तीसगढ़ के प्रमुख बांधों में से एक है।
गेटों की संख्या 14 है छत्तीसगढ़ का सबसे लंबा बांध “रावीशंकर बांध” है।
इसकी स्थापना महानदी पर धमतरी ग्राम मे 1979 मे की गई थी।
माडमसिल्ली जलाशय (धमतरी):
मदमसिल्ली बांध मुर्रुमसिल्ली बांध के नाम से भी जाना जाता है।
यह बांध महानदी नदी की सहायक नदी सिल्लआरी पर बनाया गया है, इसे 1914 और 1923 के बीच बनाया गया था।
बांध रायपुर, और राजधानी छत्तीसगढ़ से लगभग 95 किमी दूर पर स्थित है।
धमतरी मे सिलयारी नदी पर स्थित यह जलाशय छत्तीसगढ़ का प्रथम सायफन परियोजना है।
रुद्री पिक-अप वियर (धमतरी):
ब्रिटिश शासन काल के दौरान रुद्री में महानदी पर बैराज का निर्माण किया गया था।
जल संसाधन विभाग के अनुसार 1915 में यह बैराज तैयार हुआ।
यहां ब्रिटिश कालीन तकनीक और स्थापत्य कला का बेजोड़ नमूना देखा जा सकता है। बड़े-बड़े पत्थरों को साइज से काटकर इनकी जोड़ाई चूने से की गई थी, जो अब मजबूत स्थिति में है, लेकिन रुद्री बैराज चार जिलों की जीवन रेखा है।
इनमें धमतरी जिले के साथ बालोद, रायपुर, बलौदाबाजार जिले शामिल हैं।
फसलों की सिंचाई के लिए बैराज से 116 किमी लंबी मुख्य नहर बनाई गई है।
दुधावा जलाशय (कांकेर):
दुधवा बांध भारत में छत्तीसगढ़ राज्य के कांकेर जिले में स्थित है। बांध का निर्माण 1953 ई. में शुरू हुआ और 1963 ई. में समाप्त हुआ।
इस बांध की ऊंचाई 24 .53 मीटर और लंबाई 2906.43 मीटर है
दुधवा बांध, सिहावा पर्वत से 21 किमी और कांकेर से 30 किमी दूर स्थित दुधवा गांव में महानदी नदी पर बनाया गया है।
महानदी काम्प्लेक्स :
विश्व बैंक की सहायता से 1980-81 मे महानदी कॉम्प्लेक्स की स्थापना किया गया। इसके अंतर्गत निम्न परियोजनाएँ है।
सोंढूर परियोजना –
1989 – सोंढूर ग्राम ( धमतरी )।
सिकासार परियोजना –
1995 – पैरी नदी पर सिकासार ग्राम, गरियाबंद
हसदेव बांगो / मिनीमाता बहुद्देशीय परियोजना (कोरबा):
छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले में हस्देओ बैंगो बांध का निर्माण हस्देओ नदी पर किया गया है |
छत्तीसगढ़ में पर्यटन के लिए यह बांध प्रसिद्ध है। इस बांध में 120 मेगावाट की पनबिजली संयंत्र मचाडोली है।
हस्देओ बैंगो बांध, आकर्षक पहाड़ियों के बीच स्थित, एक आदर्श पिकनिक स्थान है।बांध लगभग 555 मीटर लंबा है और इसमें 11 गेट हैं, जिनमें से 10 परिचालन हैं।
हस्देओ बैंगो बांध, मिनीमाता (हस्देओ) बैंगो बांध के रूप में जाना जाता है।
हस्देओ बैंगो हाइड्रोइलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट, हस्देओ नदी के बाएं किनारे गांव माचडोली, कटघोरा, कोरबा में स्थित है
यह परियोजना बहुउद्देशीय उपयोग के लिए डिज़ाइन की गई है।
योजना आयोग ने मार्च 1961-62 में योजना को मंजूरी दी थी।
हस्देओ बैंगो बांध एल्यूमिनियम प्लांट, एसईसीएल, एनटीपीसी, सीएसपीजीसीएल, कोरबा टाउन और अन्य औद्योगिक इकाइयों की पानी की आवश्यकता को पूरा करती है।
यह कोरबा जिले से 70 किमी दूर स्थित है। इसमें 6,730 वर्ग किमी का एक जलग्रहण क्षेत्र है।
खूटाघाट / संजय गाँधी जलाशय (बिलासपुर):
खुड़िया बांध छत्तीसगढ़ में मुंगेली जिले के लोरमी विकासखण्ड में स्थित है मुंगेली से तकरीबन 45 किलोमीटर दूर है।
इसका आधिकारिक नाम संजयगांधी जलाशय है।
यह एक रमणीय स्थल है जो चारो ओर से वनाच्छाादित है तथा इसके उत्तर पश्चिम दिशा में पर्वत श्रृखला है
यह बांध मनियारी नदी पर अंग्रेजो के शासनकाल में तैयार की गई है।
बाँध के दक्षिण भाग से एक नहर निकलता है, जो पुरे लोरमी क्षेत्र को सिन्चित करता है
आज के दिनों में वो अपने में बहोत बडा उपलब्धि है |
तांदुला परियोजना (बालोद):
तांदुला जलाशय तांदुला नदी और सूखा नाला के संगम पर स्थित प्रदेश का प्रथम नदी परियोजना तांदुला परियोजना का निर्माण ब्रिटिश अभियंता एडम स्मिथ के मार्गदर्शन में वर्ष 1910 से 1920 के बीच पूरा हुआ।
यह छत्तीसगढ़ का तीसरा साबसे बड़ा जलाशय है।
तांदुला काम्प्लेक्स परियोजना
गोंदली जलाशय:
वर्ष 1957 में यह महसूस किया गया कि तांदुला जलाशय का पानी आवश्यकताओं को पूर्ण नही कर रही है। इसलिए पास के ही जुंझार/जुहार नाले पर गोंदली जलाशय का निर्माण बालोद जिले में किया गया।
इस जलाशय को 9 किलोमीटर लंबी नहर के द्वारा तांदुला से जोड़ा गया। तथा खरखरा जलाशय से भी जोड़ा गया।
खरखरा जलाशय:
बालोद जिले में खरखरा नदी पर स्थित पुर्णतः मिट्टी से निर्मित जलाशय है। इसकी लाम्बई लगभग 1128 मीटर है।
यह एक सायफन परियोजना है, इसका निर्माण 1967 में किया गया था।
तांदुला जलाशय:
तांदुला नदी और सूखा नाला के संगम पर स्थित प्रदेश का प्रथम नदी परियोजना तांदुला परियोजना का निर्माण ब्रिटिश अभियंता एडम स्मिथ के मार्गदर्शन में वर्ष 1910 से 1920 के बीच पूरा हुआ।
यह छत्तीसगढ़ का तीसरा साबसे बड़ा जलाशय है।
कुम्हारी बांध:
महानदी की सहायक नाला बंजारी नाला पर स्थित है। इस बांध के पानी का इस्तेमाल रायपुर जिले में सिंचाई के लिए किया जाता हैं।
किंकरी बांध:
यह बांध किंकरी नाला में स्थित है। इसका निर्माण 1982 में हुआ था।
सरंगढ़ क्षेत्र में इस बांध से सिंचाई की जाती है।
मोंगरा बैराज (राजनांदगांव)
छत्तीसगढ़ प्रदेश की मोंगरा बैराज परियोजना राजनांदगांव में शिवनाथ नदी पर संचालित है।
इस परियोजना को राजनांदगांव के अम्बागढ़ चौकी तहसील मुख्यालय से करीब 10 किलोमीटर की दुरी में स्थित है।
दिखने में यह जलप्रपात इतना बड़ा नहीं लगता है परन्तु जल भराव क्षेत्र अधिक है।
इसका जल स्तर क्षेत्र 712.24 वर्ग किलोमीटर है।
अधिकतम जल सतह 337.15 मीटर है।
इस बांध की लम्बाई 1590 मीटर है जिसमे 182.05 मीटर पक्का है तथा ऊंचाई 15.90 मीटर है।
इसमें महाराष्ट्र सीमा तथा आसपास के पहाड़ी क्षेत्रों से अत्याधिक मात्रा में जल वर्षा आती है। जिसके कारण यह कम वर्षा में भी भर जाता है।
इसका सक्रिय जल भराव क्षमता 32.05 मिलियन घन मीटर है। मोगरा बांध के पानी का उपयोग मुख्यतः पेयजल के रूप में किया जाता है।
इसके जल का सबसे बड़ा उपयोगकर्ता राजनांदगांव, दुर्ग तथा भिलाई नगर निगम है
स्थानीय कृषकों (लगभग 49 ग्राम) द्वारा इसके जल का उपयोग सिंचाई के लिए भी किया जाता है।
इसका गेट आधुनिक तरीके से बनाया गया है तथा इसके गेट की बनावट गंगरेल बांध की भांति ही है।
इस बांध के दरवाजों की संख्या 10 है एक दरवाजा 10.50 X 8.55 मीटर है तथा इसके 2 दरवाजे खोल देने से शिवनाथ नदी में बाढ़ आ जाती है।
River project in CG (Chhattisgarh) – छत्तीसगढ़ में अन्य नदी परियोजना
कोडार / वीर नारायण सिंह परियोजना – महासमुंद
खुड़िया / राजीवगांधी परियोजना – मुंगेली
घुनघुट्टा परियोजना – सरगुजा
महान परियोजना – सरगुजा
भैंसाझार परियोजना – बिलासपुर
बोधघाट परियोजना – बस्तर
छीरपानी परियोजना – कबीरधाम
सुतियापाट परियोजना – कबीरधाम
खेरकट्टा जलाशय – कांकेर
कुंअरपुर परियोजना – सरगुजा
कोसारटेडा परियोजना – बस्तर
मांड परियोजना – रायगढ़