Classification of organisms – जीवधारियों का वर्गीकरण

Classification of organisms – जीवधारियों का वर्गीकरण की महत्वपूर्ण जानकारी

  • अनुमान के आधार पर पृथ्वी 50 लाख से 3 करोड़ प्रकार के जीवधारी होने की संभावना है। अब तक लगभग 17 लाख विभिन्य प्रकार के जीवधारी को पहचान कर उनका नामकरण किया जा चुका है|
  • जीव विज्ञान की वो शाखा जिसके अंतर्गत जीवों का वर्गीकरण किया जाता है, वर्गीकरण विज्ञान अथवा वर्गिकी (Taxonomy) कहलाती है।Taxonomy शब्द दो ग्रीक शब्दों taxi तथा Nomous से मिलकर बना है I Taxis का अर्थ होता है व्य्वस्था तथा Nomous का अर्थ होता है नियम। अतः Taxonomy का अर्थ हुआ नियमानुसार व्यवस्थित करना।
  • जॉन रे ने सर्वप्रथम किसी एक प्रकार के जीवधारी के लिए स्पीशिज अथार्त जाति शब्द का प्रयोग किया|

पदानुक्रमी वर्गीकरण के भेद

  • पदानुक्रमी वर्गीकरण में किसी भी स्पीशीज को 8 भागों में बांटा जाता है। यहां बाघ (Tiger) तथा आम (Mango) का उदाहरण दृष्टव्य है|
  • ज्यों-ज्यों हम वर्गीकरण की उच्चतर श्रेणियों की ओर बढ़ते हैं, उनमें सम्मिलित जीवधारियों के बीच समानताएं घटती जाती हैं। उदाहरणत: एक ही जाति के टाइग्रिस के सदस्यों में अत्यधिक समानता होगी, परंतु एक ही वंश पैंथरा की विभिन्न जातियों के बीच समानता अपेक्षाकृत कम होगी।
वर्गक/श्रेणी/स्तर

Taxon/Category/Rank

बाघ

Tiger

आम

Mango

जगत

(Kingdom)

जंतु

(Animalia)

पादप

(Plantae)

संघ

(Phylum)

 कार्डेटा

(Chordata)

ट्रेकियोफाइटा

(Tracheophyta)

उपसंघ

(Sub-Phylum)

वर्टिब्रेटा

(Vertebreta)

 वर्ग

(Class)

 मेमैलिया

(Mammalia)

 

मैग्नोलियोप्सिडा

(Magnoliopsida)

गण

(Order)

 कर्नीवोरा

(Carnivora)

 सैपिन्डेलीज

(Sapindales)

 

कुल

(Family)

फेलिडी

(Felidae)

 

एनकॉर्डिएसी

(Anacardiceae)

वंश

(Genus)

 पैंथरा

(Panthera)

 

मैंगीफेरा

(Mangifera)

 

जाति

(Species)

 टाइग्रिस

(Tigris)

 इंडिका

(Indica)

वर्गीकरण के सिद्धांत

कृत्रिम वर्गीकरण पद्धतियां :

  • स्वेच्छा से चुने हुए एक या दो महत्वहीन लक्षणों के आधार पर किये गए वर्गीकरण को कृत्रिम वर्गीकरण पद्धति कहते हैं| जैसे –
  • आकार व आकृति के आधार पर पौधों का शाक(Herbs), झाड़ी(Shrubs) तथा वृक्ष (Trees) में वर्गीकरण| जीवन अवधि के आधार पर एक-वर्षीय, द्वि-वर्षीय तथा बहु-वर्षीय में वर्गीकरण|
  • आवास के आधार पर-स्थलचर, जलचर, उभयचर|

प्राकृतिक वर्गीकरण पद्धतियां:

  • वर्गीकरण की वे पद्धतियां, जिनमे जीवों का वर्गीकरण उनकी प्राकृतिक संरचना, कार्यिकी, स्वभाव, व्यवहार व परिवर्धन के गुणों की समानताओं तथा भिन्नताओं के आधार पर होता है, उसे प्राकृतिक वर्गीकरण कहते है|

 

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