Indian governor – भारत का राज्यपाल
In this Article we are providing notes for Indian governor which is very important part of Indian constitution by reading Indian governor article you can understand role and responsibility of Indian governor.
- संविधान के अनुसार,भारत राज्यों का एक संघ है| भारतीय प्रशासन की एक विशेषता यह है कि संघ तथा राज्यों के स्तर पर संसदीय शासन प्रणाली स्थापित की गई है| जिस प्रकार भारतीय संघ की कार्यप्रणाली का मुखिया राष्ट्रपति है, उसी प्रकार राज्यों की कार्यकारणी का प्रधान राज्यपाल है|
- राष्ट्रपति की भांति राज्यपाल मंत्रिपरिषद की सहायता तथा परामर्श के साथ अपनी कार्यकारी शक्तियों का प्रयोग करता है| भारतीय संविधान के अनुच्छेद 153 से 160 तक राज्यपाल की नियुक्ति,शक्तियों तथा कार्यों का वर्णन किया गया है|
- भारतीय संविधान के अनुच्छेद 153 के अनुसार,प्रत्येक राज्य का एक राज्यपाल होगा तथा अनुच्छेद 154 में कहा गया है की राज्य की समस्त कार्यपालिका शक्ति राज्यपाल में निहित होगी, जिसका प्रयोग वह खुद या अपने अधीनस्थों से करवाएगा|
- अनुच्छेद 155 के अनुसार राज्यपाल की नियुक्ति राष्ट्रपति करते है| एवं राज्यपाल राष्ट्रपति के प्रसादपर्यन्त ही पद धारण करता है| उसका कार्यकाल पांच वर्षों का है,परन्तु समय से पहले उसे हटाया जा सकता है – यदि उस पर कदाचार सिद्ध हो या उस पर अक्षमता के आरोप लगे|
- राज्य विधानमंडल के वर्ष की प्रथम बैठक एवं चुनावों के बाद की संयुक्त बैठक को राज्यपाल ही सम्बोधित करता है| अनुच्छेद 176 में यह बात कही गयी है|
- संविधान के अनुच्छेद 213 के अनुसार, राज्यपाल को अध्यादेश जारी करने का अधिकार है| उसके अध्यादेश का वही महत्व है, जो राज्य विधानमंडल द्वारा निर्मित कानूनों का| यदि विधानसभा अपनी प्रथम बैठक में इसे स्वीकृत नहीं करती, तो बैठक की तारीख से 6 सप्ताह बाद अध्यादेश स्वतः ख़त्म हो जाता है|
- यद्दपि राज्यपाल को सैनिक न्यायलय द्वारा दिए गए मृत्युदंड को माफ़ करने का अधिकार नहीं है, तथापि संविधान के अनुच्छेद 161 के अनुसार तथा भारतीय दंड संहिता की धारा 54 के अनुसार उसे सैनिक न्यायालय द्वारा दिए मृत्युदंड को छोड़कर,अन्य सजाओं को कम करने, उसे दूसरी सजा में बदलने या उसके परिहार करने का अधिकार प्राप्त है|
- संविधान के अनुच्छेद 200 के अंतर्गत राज्यपाल किसी विधेयक को विधानमंडल के पुनर्विचार के लिए लौटा सकते है,परन्तु राज्य विधानमंडल द्वारा दुबारा भेजे जाने पर राज्यपाल अपनी स्वीकृति देने के लिए बाध्य है|
- भारतीय संविधान के अनुच्छेद 201 के अनुसार,राज्यपाल किसी विधेयक को राष्ट्रपति की स्वीकृति की लिए रख सकता है या राष्ट्रपति के कहने से उसे मंत्रिमंडल में पुर्नविचार के लिए भेज सकता है| मंत्रिमंडल द्वारा पारित होने के बाद वह पुनः उक्त विधेयक को राष्ट्रपति की स्वीकृति के लिए आधारित कर सकता है|
- संविधान के अनुच्छेद 202 में कहा गया है कि राज्यपाल प्रतिवर्ष राज्य का वार्षिक वित्तीय विवरण(बजट) दोनों सदनों में रखवाएगा|
- अनुच्छेद 207 कहता है कि धन एवं वित्त विधेयक विधानसभा में राज्यपाल की पूर्व स्वीकृति से ही पेश किये जायेंगे|
- भारतीय संविधान के अनुच्छेद 167 के अनुसार,मुख्यमंत्री की नियुक्ति राज्यपाल करेगा|
- संविधान के सातवे संसोधन,1956 के अनुसार, दो या दो से अधिक राज्यों के लिए भी एक राज्यपाल हो सकता है|
14.संविधान के अनुच्छेद 174(1) के अनुसार,वह विधानसभा का अधिवेशन बुला सकता है,उसका सत्रावसान कर सकता है एवं 174(2) के अनुसार, विधानसभा को विघटित भी कर सकता है, जैसा कई राज्यपालों ने किया भी है| - संविधान के अनुच्छेद 157 के अनुसार, राज्यपाल होने के लिए यह आवश्यक है कि –
- वह व्यक्ति भारत का नागरिक हो,
- पैंतीस वर्ष की आयु पूर्ण कर चूका हो,
- केंद्र या राज्य के अधीन किसी लाभ के पद पर ना हो एवं संसद द्वारा समय-समय पर निर्धारित योग्यताओं को पूर्ण करता हो|
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