Zoology (जंत विज्ञान) के बारे में 

  1. जंतु विज्ञान ग्रीक भाषा के दो शब्दों से मिलकर बना है – Zooh (Animal) + Logos = (Study) अर्थात जंतओं का अध्ययन। अत: जंतु विज्ञान, विज्ञान की वह शाखा है जिसके अंतर्गत समस्त जंतुओं का अध्ययन किया जाता है।
  2. हिप्पोक्रेट्स (460-370 BC) को चिकित्साशास्त्र का जनक कहा जाता है। चिकित्साशास्त्र के विद्यार्थियों को आज भी उनकी शपथ दिलाया जाती है। हिप्पोक्रेट्स ने मानव रोगों पर पहला लेख लिखा। अरस्तू (384-322 BC) को जंतु विज्ञान का जनक कहा जाता है। अरस्तू ने जंतु इतिहास (Historia Animalium) नामक पुस्तक लिखी थी, जिसमें 500 जंतुओं का वर्णन है।

सजीवों के लक्षण

  1. प्रत्येक जीवधारी के जीवन की शुरुआत एक कोशिका के रूप में होती है। जो बार-बार विभाजित होकर अनेक कोशिकाएं बनाती है। इस प्रकार कोशिकाओं का विभाजन होकर अंगों का निर्माण होता है। इसी को वृद्धि कहते हैं। जीवधारियों में अपने बाह्य वातावरण के अनुसार अपनी शारीरिक रचना तथा स्वभाव को बदलने की क्षमता होती है, इसे अनुकूलन (Adaptation) कहते है|
  2. प्रत्येक जीव का निर्माण कोशिका (Cell) से हुआ है, इसलिए कोशिका को जीवन की इकाई कहा गया है। कोशिका की संरचना बड़ी जटिल होती है।
  3. जीव संवेदनशील होते हैं, वातावरण में होने वाले परिवर्तनों का अनुभव करते हैं तथा अपने को सुरक्षित रखने के लिए आवश्यक परिवर्तन भी करते हैं।’
  4. उपापचय (Metabolism) क्रिया दो क्रियाओं का संयुक्त रूप है-
    1. उपचय (Anabolic) – उपचय में जीवद्रव का निर्माण होता है इसलिए यह रचनात्मक क्रिया कहलाती है। इसके द्वारा शरीर की वृद्धि तथा विकास होता है।
    2. अपचय (Catabolic) – अपचय में जैव पदार्थों का विघटन होता है, इसलिए इसे विनाशात्मक क्रिया कहते हैं। अपचय के फलस्वरूप गतिज ऊर्जा अधिक उत्पन्न होती है|
  5. सभी जीवों में श्वसन (Respiration) की क्रिया होती है। इसके तहत जीव ऑक्सीजन ग्रहण करते हैं जिसके द्वारा भोजन का ऑक्सीकरण होता है और कार्बन डाइऑक्साइड, जल तथा ऊर्जा उत्पन्न होती है। कार्बन डाइऑक्साइड को शरीर से बाहर निकाल दिया जाता है। श्वसन के दौरान वसा, कार्बोहाइड्रेट तथा प्रोटीन का विघटन होता है और ऊर्जा निकलती है। यह ऊर्जा एटीपी (Adinosine Tri-Phosphate) के रूप में निकलती है, जिससे सम्पूर्ण जैविक क्रियाएं चलती हैं।
  6. जीवन के विकास तथा ऊर्जा के उत्पादन के लिए पोषण की आवश्यकता होती है। पौधे अपना भोजन प्रकाश संश्लेषण से बनाते हैं, जबकि जंतु पौधों पर आश्रित रहते हैं। निर्जीव वस्तुओं में इस प्रकार से पोषण नहीं होता।
  7. प्रत्येक जीव प्रजनन (Reproduction) द्वारा अपने ही जैसा जीव उत्पन्न करता है, जिससे उसके वंश में वृद्धि होती है। प्रत्येक जीव का जीवनकाल एक निश्चित समय तक रहता है। जीवधारियों में गति करने की क्षमता होती है, वे एक स्थान से दूसरे स्थान पर चलते रहते हैं तथा वे अपने अंग एक ही स्थान पर स्थिर रखकर हिला डुला सकते हैं, तब इसे गति कहते है|
  8. प्रत्येक जीवधारी की एक निश्चित आयु और जीवन चक्र (Life-Cycle) होती है| एक कोशिका से जीवन आरम्भ होकर, विभिन्न अवस्थाओं को पार करके, प्रत्येक जीव मृत्यु को प्राप्त होता है|

 

सोर्स

You might also enjoy: